अमेरिका के लिए प्रस्थान

१ सितम्बर, १९५८ ई. को दिल्ली से बम्बई होते हुए घासीराम लक्ष्य की ओर उड़ चले। घासीराम ने बीच राह में अपनी बनारस की सहपाठी प्रियवंदा शाह (जो लंदन यूनिवर्सिटी से पी-एच.डी. कर रही थी) का आतिथ्य भी ग्रहण किया।

अमेरिका में स्वयं की स्थापना की दिशा : अमेरिका के न्यूयार्क हवाई अड्डे पर प्रो. बर्कोविट्ज ने घासीराम का स्वागत किया। बर्कोविट्ज संस्थान के निदेशक कुरांट के दामाद थे। डॉ. घासीराम अमेरिका जाकर डॉ. जी.आर. वर्मा हो गए और पढ़ाई का सिलसिला पुन: शुरू हो गया। सुबह ८ बजे से संस्थान के पुस्तकालय, शाम को ४-६, ६-८ व ८-१० बजे तक कक्षाओं में अध्ययन। कठोर अध्ययन के दौरान घासीराम की विशेष रूचि गणितीय भौतिकी में ज्यादा बनी। धीरे-धीरे घासीराम अमेरिका में स्वयं को स्थापित करने की दिशा में संलग्न होने लगे।