राह में भगवान मिले

कहते हैं कि जिसकी नियत साफ हो उसे राह में भगवान मिल जाते हैं। यही नेकदिल और आत्मविश्‍वास से लवरेज डॉ. घासीराम के साथ हुआ। जनवरी, १९५८ में इंडियन साइंस कांग्रेस की कलकत्ता कांफ्रेंस में घासीराम भी शामिल हुए। बैठक के बाद चाय की टेबल पर गणितीय विज्ञान संस्थान, कुरांट (न्यूयार्क) के अमेरिकन विद्वान प्रो. के.ओ. फ्रेडरिक्स से परिचय हुआ। प्रो. फ्रेडरिक्स ने घासीराम की योग्यता को समझा और अमेरिका का निमंत्रण दे डाला। घासीराम को सचमुच ही राह में भगवान मिल गया।