किराए का प्रबंध

मैस महाराज ने तो अहसान कर दिया और वह संकट टाल दिया लेकिन अब संकट यह था कि बिना किराए गांव कैसे जाया जाए !
आखिर यूनिवर्सिटी में ही पढ़ने वाले रणवीरसिंह का ख्याल आया। रणवीरसिंह पिलानी मे घासीराम से सीनियर छात्र था। घासीराम उसके पास पहुंचा। उधार का निवेदन किया। रणवीरसिंह ने घासीराम को ३० रूपये देकर संकट टाला। घासीराम अहसानमंद था।

आगे चलकर रणवीरसिंह जोहन्स होपकिन्स यूनिवर्सिटी, सागर यूनिवर्सिटी, अरविंद कॉलेज-दिल्ली होते हुए भारतीय संसद में सांसद के हैसियत तक पहुंचे।

महाराज का बकाया चुकता : बनारस से गांव आकर घासीराम ने वाहिदपुरा के मित्र व सरकारी नौकर रामे वरलाल से १०० रूपये उधार लिये और बनारस महाराज को भेजे।