गुरुवर डॉ. बृजमोहन का दायित्व और संकट

परीक्षा की समाप्ति के क्षणों में गुरुवर डॉ. बृजमोहन ने घासीराम व उसकी ही सहपाठिन प्रियवंदा शाह को घर बुलाया। घासीराम व प्रियवंदा दोनों ही होशियार थे, घनिष्‍ठ थे और दोनों में से कोई एक टॉप करने वाला था। बृजमोहन ने अपनी गणित की एक-एक पांडुलिपि दोनों को दी और सवाल हल कर लौटाने का दायित्व दिया। प्रियवंदा (जो कांग्रेसी नेता व पूर्व उच्चायुक्त प्रकाशजी की भतीजी व डॉ. भगवानदास जी की पोती थी व सम्पन्न थी) के लिए तो कुछ खास नहीं लेकिन घासीराम के लिए कंगाली में आटा गीला। मार्च से ही मैस का कुछ बकाया था। अब पांडुलिपि हल के बहाने १०-१५ दिनों का अनावश्‍यक खर्च। करें तो क्या करें ? कैसे करें मना गुरुवर को।