कर्नाटक के साथियों का अवदान

घासीराम के दुविधा भरे मन को कर्नाटक के निवासी और सहपाठी के.एस.नागराज, शिवकुमारन व महादेवन शास्त्री ने समझा। उन्होंने सत्र के अंतिम दिनों में बिना किसी संकोच के घासीराम को ४५ रूपये पकड़ा दिये। घासीराम की आंखें छलक आई।
कहां राजस्थान, कहां कर्नाटक ?
घासीराम ने १४५ रूपये यूनिवर्सिटी में जमा करवाए। निश्‍िचतता के साथ एम.ए. की परीक्षा दी।

आगे चलकर महादेवन शास्त्री भारत में ही प्रोफेसर हो गए। १९७० में वे सेवानिवृत्ति हुए।
नागराज अमेरिका की बड़ी कंपनी में संलग्न हुए; वहीं शिवकुमारन ने लंदन यूनिवर्सिटी से पी-एच.डी. की और कनाडा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हो गए।

घासीराम आज भी उनके संपर्क में हैं।