घर की खस्ता आर्थिक हालत

चौधरी लादूराम साधारण व धार्मिक प्रवृत्ति के कृषक थे। मेहनत उनका धर्म था। पूरे परिवार का काम ऊंट पर लदान लादने के मेहनताने से चलता था। ऊंट की पीठ पर भादरा, गोगामेड़ी, छानी, रसलाना (हनुमानगढ़), नारनौल, हिसार व भिवानी से अनाज ढोया जाता था। लदान के अभाव में चूने का पत्थर निकालकर बेचना बाध्यता थी। घर की आर्थिक परिस्थितियां विषम थी। पाई-पाई की बड़ी कीमत थी।
यह वह जमाना था जब एक रूपये का ३०-३५ सेर अनाज आ जाता था। घी भी डेढ़ सेर से ज्यादा ही आता था।