जन्म व लोकविश्वास

चौधरी लादूराम के घर दो पुत्रों के बाद हुई दो संतान जन्मते ही लगातार काल-कवलित हो गई। इसी भय और पीड़ा से आक्रांत हो चौधरी जी ने टांई (झुंझुनूं) के नाथ संप्रदाय के बाबा केशरनाथ की शरण ली। केशरनाथजी ने उन्हें आश्वस्त किया और आशीष दी। बालक घीसा का जन्म हुआ।
एक लोक मान्यता है कि खंडित को बुरी आत्माएं छूती नहीं हैं और इसी मान्यता के चलते अनहोनी के भय से बालक को कुरूप करने का प्रयास किया गया तथा उनके नाक में छेद किया गया।
घसीटकर बुरी आत्मा ले जाए अतएवं पूर्व में ही घसीटने का उपक्रम किया और बालक को छाज में लिटा कर घीसा गया; बस यहीं से उनका नामकरण हुआ - घासी।


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